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Tuesday, February 23, 2010

अंजाम !

जिन्दगी इम्तेहान होती अगर कुछ सवाल तुम्हारे होते ,
हर जवाब सुनहरा होता , कुछ प्यार अगर तुम बुनते .

तेरे आँचल के हर तार पर अपना नाम सारथि लिखता .
और रूह की बुनियाद पर इज़हार-ऐ-बयां मैं करता ,
प्यार मेरे अगर अंजाम सुनहरा होता .

चाँद की चांदनी को फीका कहता ,
मंजर मंजर हर मोर उसे बेवफा कहता .
किस्मत अगर हाँ कहती तो दिल चीरकर हंश लेता .
प्यार मेरे अगर अंजाम सुनहरा होता.

मध् की मधुशाला में , प्यालो के नशे को न कहता ,
झूमते बोतलों में आईने की तफसीस करता
मिर्त्यु की युद्ध में , यम को पराजित करता .
अगर कुछ सवाल सुनहरे होते कुछ जवाब सुनहरा होता ,
प्यार मेरे अगर अंजाम !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!.

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