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Sunday, April 1, 2012

Na Ranzish na Ehsaas

Gaye the baag me phool odhne,
par kanto ki baarat laaye hain ,
Koi ranzish na rahi,
aur ehsaas bhi murda hue
waqt ne baag me nikhar to khub laye,
par ham maali aur na rahe.

Yun bhi to behlaate, baag aur bhi hain,
par dard ko hin mohbbat ne khuda mana.
Takdir ki tafshis aur kitni ? Sochta hun
rook jaaun, tham jaau, thodi saans to lelu.

Thursday, November 11, 2010

हलख की ख्वाइश

है हलख की ख्वाइश मेरी,दो तराने गुनगुना दू!
आशिकों की महफ़िलो में दो नए रंग झिलमिला दु!
मैं मोहब्बत का शिला दू वादे अक्सर तोड़ दू!
सिददतों का पैमाना दू,और याद भी तेरी छोड़ दू!
तेर तरसते दामन में,मैं प्यार से भी मुख मोड़ दू!
...
और तुझे एहसास कर,तेरी कमी को पास कर,तन्हाई की रात भर,रखूं दूर बस स्वांश भर!
नए लफ्ज़ जोरकर,आँखों से पार मैं प्यार कर,फिर कहूँ मैं जानकार!
है हलख की ख्वाइश मेरी,दो तराने गुनगुना दू!आशिकों की महफ़िलो में दो नए रंग झिलमिला दू!

Monday, August 16, 2010

!तन्हाई!

फासलों का दामन तन्हाई से इश्क कर बैठा ,
और यादो की डालियाँ मुझे झकझोरने लगी हैं.
बंद आँखों में तुम्हारा ख्वाब होता है ,
और खुलती नज़रे हकीक़त देखती हैं .
जलते सम्मा पर सौ कुर्बान होते हैं ,
और बुझते लौ पर मैं अफ्शाने लिखता हूँ !!

Tuesday, February 23, 2010

अंजाम !

जिन्दगी इम्तेहान होती अगर कुछ सवाल तुम्हारे होते ,
हर जवाब सुनहरा होता , कुछ प्यार अगर तुम बुनते .

तेरे आँचल के हर तार पर अपना नाम सारथि लिखता .
और रूह की बुनियाद पर इज़हार-ऐ-बयां मैं करता ,
प्यार मेरे अगर अंजाम सुनहरा होता .

चाँद की चांदनी को फीका कहता ,
मंजर मंजर हर मोर उसे बेवफा कहता .
किस्मत अगर हाँ कहती तो दिल चीरकर हंश लेता .
प्यार मेरे अगर अंजाम सुनहरा होता.

मध् की मधुशाला में , प्यालो के नशे को न कहता ,
झूमते बोतलों में आईने की तफसीस करता
मिर्त्यु की युद्ध में , यम को पराजित करता .
अगर कुछ सवाल सुनहरे होते कुछ जवाब सुनहरा होता ,
प्यार मेरे अगर अंजाम !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!.

महरूम

मोहब्बत और फासलों में तन्हाई रोशन होती है ..
एक चिंगारी प्यार की उठती है,दो लौ मायूस मर जाती है..
इश्क के समंदर से निचोरकर ,कुछ अल्फाज़ सीधे लिखता हूँ..
इकरार महरूम लगता है ,और तमन्ना कुछ कहने की..
फिर सपनो में समेत लेता हूँ,.
यूँ जिन्दगी तो किसी कब्र से कम नहीं जो तुम हमसफ़र नहीं..
पर ये याद है तुम्हारी , की सांसो ने थिरकना सिख लिया ..

Friday, February 19, 2010

जंहा चूम लूँ!

चाहता हूँ आसमान चूम लू .
शिकंदर की तरह जंहा चूम लू.
फितरत और फुर्सत की गुफ्तगू नहीं .
कोई मोर (success) नया मैं और ढूंड लू.
आँखों में पसीने हो , आंसू नहीं
एक साथ नया देदो ,
फिर ये जंहा चूम लूँ .

Wednesday, February 17, 2010

आशियाँ बनाऊंगा

सुनता हूँ सुन्दर लोगो का दिल बहोत बड़ा होता है ..
एक छोटी सी जगह देदो, एक सुन्दर आशियाँ बनाऊंगा ..
प्यार का समंदर रखूँगा , और सुकून का आस्मां .. :)

धक् धक् जिन्दगी में फूलो की कोमलता लगाऊंगा ..
स्वाति की बूंद की तरह चाकरी करूँगा ..
मंद हवाओं में छंदों का इंतजाम करूँगा ..
अंग्राती बदन का रोमांच बनूँगा ..
बादलों को सिरहाने लगाऊंगा ..
तुम्हारी आंखे खुलेंगी तो सूर्य को उगने दूंगा .
और बंद होते हीं चाँद को .. :)

ओश की बूंदों से नहलाऊंगा..
हिना के फूल का गजरा लगाऊंगा ..
भगवानो से अमृत छीनकर तुम्हे पिलाऊंगा ,
और जब कदम बढाओगी उससे पहले ,
मैं गुलाबो की पंखुडियां बिखेरूँगा .. :)

धन कुबेर को नौकर, श्वैम विष्णु को सारथि ..
बस एक छोटी सी जगह देदो ..
मैं अपना आशियाँ बनाऊंगा .. :)