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Friday, February 19, 2010

जंहा चूम लूँ!

चाहता हूँ आसमान चूम लू .
शिकंदर की तरह जंहा चूम लू.
फितरत और फुर्सत की गुफ्तगू नहीं .
कोई मोर (success) नया मैं और ढूंड लू.
आँखों में पसीने हो , आंसू नहीं
एक साथ नया देदो ,
फिर ये जंहा चूम लूँ .

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